कुछ जल गए यूँ मेहमानी के दिए
कि न इलज़ाम हो उनकी मेजबानी के दिए
ये गुल ए शफक और ये रंगीन समां
यादों के काफिले मेरी कहानी के दिए
खुदा मेरे ख्वाब दिखा धीरे धीरे
पारिज़ाद ये चश्म ए नूरानी के दिए
अल्फाज़ बिखरे हैं पड़े गोशा ए ज़हन
सफहों पर बिछा दूं मानी के दिए
बेपरवाह पैरों में बूंदों की पायल
बारिश में जल गए जवानी के दिए
परिंदे आ बैठे हैं वीरान पेड़ पर
मज़ार पर जल उठे जिंदगानी के दिए