दरख़्त उखाड़ फेंकने की भी होती है तहज़ीब
बता तो दो उसकी खता यह कहती है तहज़ीब
मज़हब हों या फूल सबकी अपनी क्यारी है
छेड़ने से इन दोनों की मर जाती है तहज़ीब
बिन बुलाये मेहमान सी बेवक़्त आ गयीं
यादों को आने की कब होती है तहज़ीब
दम तोड़ते ही लिटा दिया फर्श पर इंसान
बस शमशान तक साथ चलती है तहज़ीब
बेहतर है ये जहाँ अब ए मौला बाज़ीगर
साँसों की आजकल कपालभाति है तहज़ीब
शमा के पास ही होंगे हिसाब ए जफा ओ वफ़ा
परवाने को कब जलने की आती है तहज़ीब
दरख्तों को उखाड़ फेंकने की भी होती है तहजीब .... मीनू जी , क्या भावनात्मक बात रखी है आपने ... पूछ तो लो दरख्तों से , कह तो दो
जवाब देंहटाएंमज़हब हों या फूल सबकी अपनी क्यारी है
जवाब देंहटाएंछेड़ने से इन दोनों की मर जाती है तहज़ीब
वाह ...बहुत सुन्दर गज़ल ..
wah.har pangti lajabab hai.
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत गज़ल..हरेक शेर बहुत मर्मस्पर्शी और उम्दा..
जवाब देंहटाएंनए अंदाज़ में एक बेहतरीन गज़ल. आभार .
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर शब्दों के साथ बेहतरीन रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ग़ज़ल ...हर शेर हृदयस्पर्शी है....
जवाब देंहटाएंबेहद ख़ूबसूरत ग़ज़ल ...बेहद शानदार अशआर.....
जवाब देंहटाएंdi
जवाब देंहटाएंkin panktiyon ki tarif karun .har ek panktiyan bemisaal . bahut bahut achhi lagi aapki gazal .ek sachchai ko bayan karti alag si post .
bahut bahut badhai
sadar naman
di idhar net par kuchh gadbad mamla chal raha hai .isi liye koi comments kahin bhi post nahi kar paai .vilamb ke liye xhma chahti hun
poonam
सुन्दर और सार्थक ग़ज़ल .
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सार्थक ग़ज़ल .
जवाब देंहटाएंमज़हब हो या फूल सबकी अपनी क्यारी है ....
जवाब देंहटाएंये ग़ज़ल बेहद प्यारी है .आभार .
खुबसूरत गज़ल हर शेर शानदार .......बहुत खूब
जवाब देंहटाएंati sunder
जवाब देंहटाएंSUNDAR GAZAL....YU HI LIKHTE RAHIYE
जवाब देंहटाएंलाजबाब बेहतरीन प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंपहली दफा आपके ब्लॉग पर आया हूँ.
आपके सुन्दर गहन भावों से पूर्ण अभिव्यक्ति
पढकर बहुत अच्छा लगा.
आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.