दूर पहाड़ों पे न जाने कितनी बर्फ बाकी है
जल्दी नहीं पिघलती इसका मतलब काफी है
संग मौसमों के पिघलता रहता है जिस्म
दिल में कोई अरमां कोई ख्वाब अभी बाकी है
दरिया पार से आ रही है कोई सदा
दूर ज़जीरे पे शायद ज़िन्दगी अभी बाकी है
कैद किया मुट्ठी में आफ़ताब का टुकड़ा
अंदाज़ा सही निकला गर्मी अभी काफी है
शाम धुंधलाने लगी है दोपहर से ही
शहर का सड़कों पे फिसलना अभी बाकी है
पैमाना मचल मचल के छलक उठा है
लबों तक आने नहीं देता कैसा साकी है
dil me kai khwaab baki hi rah jate hain ,
जवाब देंहटाएंaao burf ke pighalne ka intzaar karen
बहुत सुंदर गजल ....जज्बातों को बखूबी अभिव्यक्त किया है ...आपका आभार
जवाब देंहटाएंभावों से लबरेज़ रचना.
जवाब देंहटाएंह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सशक्त रचना
जवाब देंहटाएंवसन्त की आप को हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंआपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी......आपको फॉलो कर रहा हूँ |
जवाब देंहटाएंbasant mubarak ho sanjay , shukriya
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें ..........मेरे ब्लॉग पर आकर एक सार्थक टिप्पणी के लिए आपका आभार ....आशा है आपका मार्गदर्शन और आशीर्वाद यूँ ही मिलता रहेगा ..शुक्रिया
जवाब देंहटाएंjism ka pighalna , khwaabon ka hona ... kamaal ke ehsaas
जवाब देंहटाएंवाह, क्या बात है। आपके शब्द चित्र आंखों के रास्ते मन मस्तिष्क में उतर गये।
जवाब देंहटाएं---------
ब्लॉगवाणी: एक नई शुरूआत।
आदरणीया मीनू भगिया जी
जवाब देंहटाएंसस्नेहाभिवादन !
संग मौसमों के पिघलता रहता है जिस्म
दिल में कोई अरमां कोई ख़्वाब अभी बाकी है
बहुत सुंदर और भावों को उद्वेलित करने वाली रचना है … बधाई !
कुछ पुरानी रचनाएं भी आपकी पिछ्ली पोस्ट्स पर देखी , पसंद आईं ।
बसंत पंचमी सहित बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
dhanyavad aap sab ka , basant mubarak ho !
जवाब देंहटाएंpaimaana machal machal ke chhalak utha haiii
जवाब देंहटाएंlabon tak aane nahi deta kaisi hai.........
waaaaaahhhhhh
पहली बार आई हूं काफी अच्छा लगा पढ़कर....ग़ज़ल पसंद आई और फॉलो भी कर रही हूं....ऐसे ही लिखती रहिए....
जवाब देंहटाएंshukriya veena and devendra
जवाब देंहटाएंbehad khoobsurti ke saath likhi hain.....bahut achcha laga.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ..... कमाल की पंक्तियाँ रची हैं...... प्रभावी अभिव्यक्ति.... बधाई....
जवाब देंहटाएंपहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ.
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा ग़ज़ल पढ़ी.कुछ अशार बहुत ही अच्छे लगे.
ख़ास कर मक्ता.
आपकी कलम को सलाम.
दूर जजीरे पर जिन्दगी बाकी है
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जिन्दगी की तलाश में उसने भी कुछ कहा है, देखें - http://rajey.blogspot.com/ पर
बहुत सुन्दर ग़ज़ल. खासतौर से -
जवाब देंहटाएंक़ैद किया आफ़ताब... शेर बहुत सुन्दर है.