कुछ जल गए यूँ मेहमानी के दिए
कि न इलज़ाम हो उनकी मेजबानी के दिए
ये गुल ए शफक और ये रंगीन समां
यादों के काफिले मेरी कहानी के दिए
खुदा मेरे ख्वाब दिखा धीरे धीरे
पारिज़ाद ये चश्म ए नूरानी के दिए
अल्फाज़ बिखरे हैं पड़े गोशा ए ज़हन
सफहों पर बिछा दूं मानी के दिए
बेपरवाह पैरों में बूंदों की पायल
बारिश में जल गए जवानी के दिए
परिंदे आ बैठे हैं वीरान पेड़ पर
मज़ार पर जल उठे जिंदगानी के दिए
शुभ दीपावली,
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपको और आपके प्रियजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें….!
संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
दीपावली की शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव लिए पंक्तियाँ.... दीपोत्सव की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गज़ल
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनायें
bahut pasand aayee.....
जवाब देंहटाएंबेपरवाह पैरों में बूंदों की पायल
जवाब देंहटाएंबारिश में जल गए जवानी के दीये....
सुभानाल्लाह .....
मज़ा आ गया पढ़ कर ....
बस गज़ब ही हैं सारे शेर ....
kya baat hai minoo di !
जवाब देंहटाएंaaj to aapki gazal padh kar maja aa gaya bahut bahut hi achha laga.
alfaz nahi mil rahein hai likhne ke liye
wah wah------
poonam
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं
जवाब देंहटाएंसंजय भास्कर
वाह,क्या बात है.
जवाब देंहटाएंख़ूबसूरत गज़ल....अच्छा लिखती हैं आप!! आभार.
जवाब देंहटाएंwww.belovedlife-santosh.blogspot.com