धरती चादर अम्बर चादर
इससे नहीं है बेहतर चादर
माटी के ढेले सा पड़ा है वो
डाल भी दो कोई उसपर चादरऊपर चादर , नीचे चादर
बस नहीं है अन्दर चादर
बारिश भारी नदिया बाहर
होने लगी तरबतर चादर
चाँद सितारे झांकते नज़ारे
आसमां की कुतरकर चादर
बाहर निकलते लगीं तड़पने
मछलियों का समुन्दर चादर
सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबधाई |
और बधाई ||
achhi rachna
जवाब देंहटाएंसुंदर शाब्दिक चित्रण..... उम्दा पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंचित्र और भावों की अभिव्यक्ति दोनों सुंदर हैं ।
जवाब देंहटाएंminuu di
जवाब देंहटाएंaapki yah prastuti bin kahe hi bahut kuchh kah jaati hai .
bahut hi sundart se abhivyakt kiya hai aapnegahan bhav ko
bahut bahut badhai
poonam