राम ओ रहीम की बात ख्याल ए खाम हो चली है
सियासती बुग्ज़ में दब शहीद ए आम हो चली है
शोब्दाकारों के शोर से हैरां हैं संसद की दीवारें
दरकने लगीं शायद इनकी भी शाम हो चली है
अब के शतरंज में पियादे न काले न सफ़ेद
आँखों की रोशनी जैसे तमाम हो चली है
आखिरी चिराग है अपने दामन का सहारा दे दो
की हर दरीचे से आती हवा इमाम हो चली है
आज़ादी तेरे नाम पर कुछ नामचीनों की बदमिज़ाजी
मेरे अजीजों की शहादत जैसे इल्जाम हो चली है
mere ajijon kee shahadat... ilzaam ho chali hai, bahut badhiyaa likha hai
जवाब देंहटाएंbahot achcha......
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत ही सुन्दर शब्दों का संगम है इस रचना में ।
जवाब देंहटाएंसुंदर...बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत संदर लिखा है आपने ........
जवाब देंहटाएंHappy Independence Day.
जवाब देंहटाएंminu di
जवाब देंहटाएंbahut bahut hi lajwaab lagi aapki yerachna
man ko bhigo gai.
bahut hi badhiya abhivykti
sadar naman
poonam