अँधेरा गर अँधेरा है तो गहराता क्यूँ नहीं
सवेरा गर सवेरा है तो नज़र आता क्यूँ नहीं
ख्याल गर ख्याल है तो उतरे कागज़ पर
ये शेर ग़ज़ल बनने को मचल जाता क्यूँ नहीं
चाँद गर चाँद है तो चांदनी न खोये अपनी
लेकिन वो अमावस में पूरा नज़र आता क्यूँ नहीं
समुंदर गर समुंदर है तो हो और बेक़िनार
इसका हर कतरा मोती में ढल जाता क्यूँ नहीं
सितारा गर सितारा है तो चमके फ़ना से पहले
कोई जीते जी आसमाँ पर टिमटिमाता क्यूँ नहीं
Bahut Sunder
जवाब देंहटाएंKhoobsoorat gazal ... Khas kar doosra sher Bahut pasand aaya ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गजल ...
जवाब देंहटाएंबेहद अच्छे भाव
जवाब देंहटाएंअँधेरे में रहा करता है साया साथ अपने पर
जवाब देंहटाएंबिना जोखिम उजाले में है रह पाना बहुत मुश्किल
बेहद अच्छे भाव
अति सुंदर व गहरी रचना...
जवाब देंहटाएं'क्यूँ नहीं' इन दो अक्षरों के प्रश्न का इस युग में उत्तर देगा कौन
सारी सृष्टि ढूंढ ढूंढ थक थक हारी, इंसान तो बेचारा सिर्फ मौन
कहे अँधेरा गहराऊँ कैसे, सवेरा करता रोज़ मेरी गोदी में विश्राम
नज़र आता हूँ कोई देखे तो,कहे सवेरा,रोज़ सृष्टि को बाँटू काम
इतनी गहरी और लाजवाब ग़ज़ल जो प्रकृति से भी जवाब माँग रही है।ऐसे ही उड़ान भरते रहिये.....
जवाब देंहटाएं'क्यूँ नहीं', इन दो अक्षरों के प्रश्न का इस युग में उत्तर देगा कौन
सारी सृष्टि ढूंढ ढूंढ थक थक हारी, इंसान तो बेचारा सिर्फ मौन
कहे अँधेरा, गहराऊँ कैसे, सवेरा करता रात्रि मेँ मेरी गोदी में विश्राम
कहे सवेरा, नज़र आता हूँ, कोई देखे तो, रोज़ सृष्टि को बाँटू काम
Kin shabdon mein dhanyavaad karun , shabd nahin mere pass
जवाब देंहटाएंYou deserve much more than this
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