जज्बा गर दिल में ही दबाया होता
आँसू कोई यूँ ही तो न जाया होता
ज़रा सी तपिश से ही पिघल गया
रिश्ता मोम का तो न बनाया होता
दर्द था पिघल ही जाता धीरे धीरे
कोई अलाव तो न सुलगाया होता
हम तो चल ही पड़ते तेरा हाथ पकड़
इक बार मुड़ कर तो बुलाया होता
आंसुओं की कीमत पहचानी होती तो
आज तेरे घर खुशियों का सरमाया होता
दर्द तो धीरे धीरे पिघल जाता ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... सही कहा है ... धीरे धीरे ये दर्द कम हो ही जाता है ... समय के साथ साथ ...
ज़िन्दगी को ज़िन्दगी जाना होता
जवाब देंहटाएंमौत से पहले मौत का साया न होता
वाह ... बहुत खूब
जवाब देंहटाएंbahot achchi lagi.....
जवाब देंहटाएंअच्छी ग़ज़ल...दाद कबूल करें
जवाब देंहटाएंनीरज
good lines.
जवाब देंहटाएंकिस को गैर कहदे हम और किसको मान ले अपना
मिलते हाथ सबसे है दिल से दिल नहीं मिलते
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