खता किसी की इल्जाम हमारे सर पर
पता किसी का तूफ़ान हमारे घर पर
मुद्दतें गुजरीं सोचते खतावार है कौन
सुना इन्साफ भी होगा तुम्हारे दर पर
मिले कभी तो पूछेंगे हासिलातों को
अभी चलते हैं अपने अपने सफर पर
हर घर की सेहन की किस्मत है अलग
कहीं सर्द हवा है कहीं धूप शज़र पर
परिंदा उड़ेगा ही आख़िर फड़फड़ा कर
क्यों आसमाँ लिख दिया उसके पर पर
दूर तक फैला शहर सिमट आया है
क्यूँ न करे गुरुर रास्तों ओ हुनर पर
हयात ए दश्त भी पार कर ही लेंगे
काबू बनाये रखा अगर अपने डर पर
खता किसी की इल्हाम हमारे सर पर
जवाब देंहटाएंपता किसी का तूफ़ान हमारे घर पर
वाह वाह .....मत्ला तो कमाल का उतरा है मीनू जी ......
shukriya ravikar and harkeerat
जवाब देंहटाएंBehtreen Panktiyan
जवाब देंहटाएंगज़ब का मतला है ... हर शेर नए अंदाज़ का है ...
जवाब देंहटाएंबहुरत खूब ..