कैसे मालूम हो कि हवा हवा है
आज वो चल रही बेसदा बेनवा है
साँस चल रही है हवा ही होगी
पत्ता भी अभी पेड़ से हुआ जुदा है
अहसासों का चेहरा नहीं होता मगर
दिल को पता है कि मायूस फ़िज़ा है
हवाओं का भी जरुर होता है तन
जिस्म है सर्द किसी ने तो छुआ है
सराब पे लिखा था नाम मिट गया
न कोई दिशा है न कोई निशाँ है
बुझते अलाव सुलग उठे फिर से
मुझे यकीन आ गया जरुर हवा है
bujhte alaaw sulag uthe... haan ye hawa hi to hai... bahut ho achhi rachna
जवाब देंहटाएंसाँस चल रही..... बहुत सुंदर पंक्तियाँ रची हैं ......
जवाब देंहटाएंहवाओं का भी जरुर होता है तन
जवाब देंहटाएंजिस्म है सर्द किसी ने तो छुआ है
बहुत खूबसूरत गज़ल ...
आपने बड़े ख़ूबसूरत ख़यालों से सजा कर एक निहायत उम्दा ग़ज़ल लिखी है।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गज़ल
जवाब देंहटाएंman mein uthtee bhawnaon kee hawa ko sundar shabdon mein piroya hai aapne..
जवाब देंहटाएंhaardik shubhkamnayne
अहसास तो होते ही हैं बेचेहरा
जवाब देंहटाएं....
हवाओं का भी जरुर होता है तन
वाह वाह
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22- 02- 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
अच्छी रचना ,बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसुरत प्रस्तुति......
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
जवाब देंहटाएंहवाओं का भी जरुर होता है तन
जिस्म है सर्द किसी ने तो छुआ है
बहुत खूबसूरत गज़ल !
सांस चल रही है....बहुत उम्दा शेर...बहुत ख़ूबसूरत गज़ल.
जवाब देंहटाएंwah....
जवाब देंहटाएंशायद आपके व्लाग पर पहली बार आया हूँ | लगता है बहुत देर हुई आने में साँस चल रही है हवा ही होगी ....... ,खुबसूरत अहसास को खुबसूरत अल्फ़ाज देना तारीफ़ के क़ाबिल है |शुभकामनायें ..,
जवाब देंहटाएंpahli baar aapke blog par aay ahoon aur bahut hi behatreen gazal .. badhayi sweekar kare. kuch sher seedhe dil me utar gaye ji
जवाब देंहटाएं----------
मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .
आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
"""" इस कविता का लिंक है ::::
http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
विजय
आदरणीया मीनू भगिया जी
जवाब देंहटाएंसादर सस्नेहाभिवादन !
मैं आपकी पोस्ट पर कमेंट करके गया था … पता नहीं क्यों छपा नहीं …
बहुत शानदार है आपकी ग़ज़ल …
अहसास तो होते ही हैं बेचेहरा
दिल को पता है कि मायूस फिजा है
बहुत प्यारा शे'र है …
बुझते अलाव सुलग उठे फिर से
मुझे यकीन आ गया जरुर हवा है
आऽऽह … क्या एहसास का शे'र है ! बहुत ख़ूब !
मुबारकबाद कबूल फ़रमाएं …
♥ महाशिवरात्रि की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ! ♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
Minoo Ji
जवाब देंहटाएंbujhte alaav phir sulag uthe phir se ...badiya hai
Surinder ratti
Mumbai
सुंदर प्रस्तुति बधाई और शुभकामनाएं |
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