आशोब ए दिल कुछ कम है आज
क्या खारिज अज जिस्म गम है आज
रगों में जब्त हैं शोरिश ए कर्ब
सुन कर साँसें भी बेदम हैं आज
नब्ज़ ए हयात चल रही है मुसलसल
मौत भी हमनफस हमसनम है आज
दायरा ए आफाक पूरा तो कर लूँ
नुक्ता न लगाना लम्हों कसम है आज
बेनवा हवाओं सी घुस आयीं लहू में
तमन्नाओं का पनाहगाह जिस्म है आज
Bahut Sunder gazal.......
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