कहा उसने मौसम फ़िर से बदलने लगा है
सोचा मैंने वक़्त हुआ कब किसका सगा है
कहा उसने लगता है कोई छत गिर गई है
सोचा मैंने आवाजों के होते मतलब कई हैं
कहा उसने कुछ करने का आज मन नहीं है
सोचा मैंने जहाँ में कौन है जिसे गम नहीं है
कहा उसने दरीचे बंद कर लो तेज़ हवा है
सोचा मैंने अपनी साँसों से हर कोई खफा है
कहा उसने मज़हबी फसादात कब बंद होंगे
सोचा मैंने बचे जब ज़मीं के टुकड़े चंद होंगे
इस आबशार में इतनी खूबसूरती...
जवाब देंहटाएंकहा उसने इन्सां के साथ ख्वाहिशें नहीं मरतीं
कहा मैंने ख्वाहिशों का जिस्म ही कहाँ होता है
...सामने आ जाए वो अगर, मैं कहूं...मुकर्रर
Beautiful,very nice
जवाब देंहटाएं