पर हर वो चीज़ न मिल सकी जो मुझे पसंद थी
कोई गुप्त कारवाई चल रही थी अन्दर
बहुत खटखटाया दरवाज़ा मगर ताली बंद थी
ऐसी ऐसी मौजें उठीं कि तड़प उठे साहिल
दरिया को तो बस जैसे दीवानगी पसंद थी
निकला जब सूरज तो फट पड़े बादल
पड़ा हो कोई परदा रौशनी ऐसी मंद थी
जाना था पूरब में ली गयी वो पश्चिम
हवा भी जाने कैसी बेगैरत और बेसमंद थी
फिकर कर कर जिकर किया था उम्र भर
जिकर का जब काम आया धड़कन बंद थी
जिकर - अभ्यास