रंगीं खुशबुएँ बिखेरता इक शामों का पेड़ है
जरा संभल के चलना मदहोशियों का पेड़ है
सितारों का गजरा कैसे बिखर गया इस पे
चाँद भी हैरां है शायद जन्नतों का पेड़ है
आगाज़ ए शब की आहट से लगा झूमने
खुशगवार से नगमों और तरानों का पेड़ है
लुटा कर तमाम दौलत खुश होता है बहुत
दिलों के गुलशन में आशिकियों का पेड़ है
पत्ते भी बन जाते हैं लब अक्सर रातों में
हाले दिल कहता है सरगोशियों का पेड़ है