पूछा मैंने क्या दरिया को पता है कि सहरा की तिश्नगी है बहुत
कहा उसने क्या सहरा को पता है कि दरिया की बेचैनी है बहुत
पूछा मैंने क्या फूल को पता है कि काँटा दर्द देता है बहुत
कहा उसने क्या कांटे को पता है कि फूल नर्म होता है बहुत
पूछा मैंने क्या शबनम को पता है कि धूप गर्म होती है बहुत
कहा उसने क्या धूप को पता है कि ओस नर्म होती है बहुत
पूछा मैंने क्या रात को पता है कि चाँद खामोश क्यों है बहुत
कहा उसने क्या उसको पता है कि वो करता मदहोश है बहुत
पूछा मैंने क्या शमा को पता है कि परवाना उसे चाहता है बहुत
कहा उसने क्या परवाने को पता है कि वो उसे रुलाता है बहुत
पूछा मैंने क्या दिल को पता है कि वो धड़कता है बहुत
कहा उसने क्या उसे पता है कि उसमें लहू दौड़ता है बहुत
bahot sunder likhin......
जवाब देंहटाएंहृदय छूती पंक्तियाँ .........!!बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .. सबके अपने अपने दर्द, सबके अपने अपने रिश्ते ...
जवाब देंहटाएंहर शेर लाजवाब ...
shukriya aap sabka
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लेख 👍
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