रविवार, 5 फ़रवरी 2012

ऐतबार




दिल का कभी कभी ज़रार होना जरुरी है
करार पाने के लिए बेकरार होना जरुरी है

रास्ते तो रास्ते हैं चल पड़ते हैं कहीं भी
क़दमों पे अपने ऐतबार होना जरुरी है

ताज पहनने से कोई खुदा नहीं होता
ताज का पहले इफ्तिखार होना जरुरी है

उफनता है दरिया तब बनती हैं गौहरें
हर मौज का बेइख्तियार होना जरुरी है

रौशनी हमसफ़र हो हर मोड़ हर सफर
क्या अंधेरों का उस पार होना जरुरी है

ऐ वक़्त तुझे भी दे देंगे शिकस्त हम
साँस की धीमी रफ्तार होना जरुरी है

छलक उठा गम दीवानों का महफ़िल में
छुपाने को मजनू सा बीमार होना जरुरी है

परेशां हो दर बदर गाफिल से सहरा में
हौसलों में सराब का शुमार होना जरुरी है

आबलापाई होगा गर अकेला होगा दश्त में
साथ कारवां ओ असफार होना जरुरी है

मंजिल पाने को तो दौड़ते हैं सभी मगर
मुकद्दर ओ वक़्त बेशुमार होना जरुरी है

7 टिप्‍पणियां:

  1. ताज पहनने से कोई खुदा नहीं होता
    ताज का पहले इफ्तिखार होना जरुरी है ... waah

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  2. बहुत सुंदर ...आखिरी पंक्तियाँ बड़ी सटीक और व्यवहारिक सी लगीं......

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  3. लाजवाब ... हर शेर बस सुभान अल्ला ... मज़ा आ गया ...

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  4. ऐ वक्त तुझे भी दे देंगे शिकस्त हम...पर तेरा साथ देना जरूरी है...

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  5. di
    har panktiyan lazwaab kiski tarrif na karun.
    bas itna hi ki----
    likhne ke liye bas aapsa andaaz bhi jaruri hai---
    poonam

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  6. sach kaha aapne dautte to sabhi hai lekin manjik mukkdar wale ko hi milti hain..
    bahut aundar rachna

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