मंगलवार, 25 अक्तूबर 2011

दिए






कुछ  जल  गए  यूँ  मेहमानी  के  दिए 
कि  न  इलज़ाम  हो  उनकी  मेजबानी  के  दिए 

ये  गुल  ए  शफक  और  ये  रंगीन  समां 
यादों  के  काफिले  मेरी  कहानी  के  दिए 

खुदा  मेरे  ख्वाब  दिखा  धीरे  धीरे 
पारिज़ाद  ये  चश्म  ए  नूरानी  के  दिए 

अल्फाज़  बिखरे  हैं  पड़े  गोशा  ए  ज़हन 
सफहों  पर  बिछा  दूं  मानी  के  दिए 

बेपरवाह  पैरों  में  बूंदों  की  पायल 
बारिश  में  जल  गए  जवानी  के  दिए 

परिंदे  आ  बैठे  हैं  वीरान  पेड़  पर 
मज़ार  पर  जल  उठे  जिंदगानी  के  दिए 

12 टिप्‍पणियां:

  1. प्रभावशाली प्रस्तुति
    आपको और आपके प्रियजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें….!

    संजय भास्कर
    आदत....मुस्कुराने की
    नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  2. सुंदर भाव लिए पंक्तियाँ.... दीपोत्सव की शुभकामनायें

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  3. खूबसूरत गज़ल

    दीपावली की शुभकामनायें

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  4. बेपरवाह पैरों में बूंदों की पायल
    बारिश में जल गए जवानी के दीये....

    सुभानाल्लाह .....
    मज़ा आ गया पढ़ कर ....
    बस गज़ब ही हैं सारे शेर ....

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  5. kya baat hai minoo di !
    aaj to aapki gazal padh kar maja aa gaya bahut bahut hi achha laga.
    alfaz nahi mil rahein hai likhne ke liye
    wah wah------
    poonam

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  6. आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

    संजय भास्कर

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  7. ख़ूबसूरत गज़ल....अच्छा लिखती हैं आप!! आभार.

    www.belovedlife-santosh.blogspot.com

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