राम ओ रहीम की बात ख्याल ए खाम हो चली है
सियासती बुग्ज़ में दब शहीद ए आम हो चली है
शोब्दाकारों के शोर से हैरां हैं संसद की दीवारें
दरकने लगीं शायद इनकी भी शाम हो चली है
अब के शतरंज में पियादे न काले न सफ़ेद
आँखों की रोशनी जैसे तमाम हो चली है
आखिरी चिराग है अपने दामन का सहारा दे दो
की हर दरीचे से आती हवा इमाम हो चली है
आज़ादी तेरे नाम पर कुछ नामचीनों की बदमिज़ाजी
मेरे अजीजों की शहादत जैसे इल्जाम हो चली है