रविवार, 3 अप्रैल 2011

पहाड़






पहाड़ को कोई बूढा कहे अच्छा नहीं लगता है 
जो जन्मा ही नहीं वह बूढा कैसे हो सकता है 

पीली सरसों , आढुओं, बादामों से लदा
रंगीं, जवां और खुशमिजाज़ सा दिखता है 

दुर्गम चढ़ाइयों पर फसलें उगाते हैं लोग 
यह मेहनतकश इंसानों को जन्म देता है 

ठन्ड से शरीर सुन्न मगर जिंदा हैं जज़्बात 
दुश्मन की गोलियां जो रोज़ सीने पर खाता है  

सफ़ेद बर्फ की चादर पर मासूम से बच्चे 
इक पिता की तरह काँधे पर बिठाये रखता है 

धुंए बादल और बारिशों से आँखें मलता
 आने वाले मेहमानों की राह ताका करता है

सितारों और चाँद की रोशनियों में नहाता 
जैसे जन्नत से उतर आया इक फ़रिश्ता है

जड़ी बूटियों की खुशबुएँ तैरती हैं हवाओं में
सबको नयी ज़िंदगी देता वो तो एक देवता है
  

17 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर ....आखिरी शेर तो कमाल का है.... बेमिसाल

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  2. meenu di
    bahut bahut badhiya prastuti .
    axhrshah puri kavita hi prakritik soundary ke saath bahut si baato ko smete hue hai . aakhir ki charo panktiyan behad -behad pasand aain.
    di main bahut bahut xhama chahti hun jo vilamb se aapko comment de rahi hun.
    karan aaj-kal swasthy ki aniymitata ke vajah se nt par niymit nahi ho pa rahi hun.
    atah sabko vilamb se hi tippni de rahi hun.
    xhama sahit
    poonam

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  3. मेरे पहाड़ को कोई बूढा कहे मुझे अच्छा नहीं लगता है
    जो जन्मा ही नहीं वह भला बूढा कैसे हो सकता है

    बहुत सच कहा आपने …

    आदरणीया मीनू भगिया जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !

    अच्छी रचना के लिए आभार !

    नवरात्रि की शुभकामनाएं !

    साथ ही…

    *नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !*

    नव संवत् का रवि नवल, दे स्नेहिल संस्पर्श !
    पल प्रतिपल हो हर्षमय, पथ पथ पर उत्कर्ष !!

    चैत्र शुक्ल शुभ प्रतिपदा, लाए शुभ संदेश !
    संवत् मंगलमय ! रहे नित नव सुख उन्मेष !!


    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  4. सफ़ेद वर्फ की चादर पर मासूम आँखों वाले बच्चे ........खुबसूरत शेर , मुबारक हो

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ....यह कैसे छूट गया पढ़ने से ? :)

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  6. बेमिसाल रचना ..हर शे'र गहरे अहसासों से परिपूर्ण ...आपका शुक्रिया

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  7. आपके लेखन ने इसे जानदार और शानदार बना दिया है....

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  8. कुछ नयी सी वाक्‍य संरचनायें देखने को मि‍ली। तुकबंदी की बजाय ऐसे भी लि‍खा जा सकता है।

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  9. Meenu je, aap ko yahan aur is tarah pakar bahut sukhad anubhav hua. maine aap ko ek savedansheel doctor kee tarah dekha tha. ab ek sahriday kavi kee tarah dekhkar aap ke prati aatmeeyata aur badh gayee hai. facevook par bhee aap ne mujhe dhundh liya, yah aur bhee achchha raha. jald milenge.

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  10. shukriya subhash ji , aapka blog bhi dekha , baat- bebaat , bahut achha hai , sach mein bahut khushi hui.

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  11. बहुत खूब ...! शुभकामनायें आपके लिए !

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  12. मनभावन अभिव्यक्ति ...बधाई

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