जो जन्मा ही नहीं वह बूढा कैसे हो सकता है
पीली सरसों , आढुओं, बादामों से लदा
रंगीं, जवां और खुशमिजाज़ सा दिखता है
दुर्गम चढ़ाइयों पर फसलें उगाते हैं लोग
यह मेहनतकश इंसानों को जन्म देता है
ठन्ड से शरीर सुन्न मगर जिंदा हैं जज़्बात
दुश्मन की गोलियां जो रोज़ सीने पर खाता है
सफ़ेद बर्फ की चादर पर मासूम से बच्चे
इक पिता की तरह काँधे पर बिठाये रखता है
धुंए बादल और बारिशों से आँखें मलता
आने वाले मेहमानों की राह ताका करता है
सितारों और चाँद की रोशनियों में नहाता
जैसे जन्नत से उतर आया इक फ़रिश्ता है
जड़ी बूटियों की खुशबुएँ तैरती हैं हवाओं में
सबको नयी ज़िंदगी देता वो तो एक देवता है
आने वाले मेहमानों की राह ताका करता है
सितारों और चाँद की रोशनियों में नहाता
जैसे जन्नत से उतर आया इक फ़रिश्ता है
जड़ी बूटियों की खुशबुएँ तैरती हैं हवाओं में
सबको नयी ज़िंदगी देता वो तो एक देवता है