सांस सांस में जैसे कोई आस है जिंदा
जीते हैं हम या कोई अहसास है जिंदा
मर गया था रिश्ता फ़िर से जी उठा वो
कोई अनकही अधूरी सी आस है जिंदा
यादों को जब भी खोला तो पाया मैंनेकोई चेहरा अब भी आस पास है जिंदा
मौजें आ आकर टकरातीं हैं रोज़ रोज़फ़िर भी साहिलों में इक प्यास है जिंदा
नापाक इरादों में शामिल तुम न होना
गर कुछ ज़मीर तुम्हारे पास है जिंदा
सिर्फ धडकनें गिनना नहीं है ज़िन्दगीयूँ तो पत्थर भी पत्थर के पास है जिंदा