गुरुवार, 29 जुलाई 2010

आब शार






दिल में मेरे इक आब शार बहने लगा
वो मुझसे पहाड़ों की बातें करने लगा

खुशबुएँ साथ लाया था फिजाओं की
रफ्ता रफ्ता नस नस में महकने लगा

आब ओ हवा रास ना आई देर तक
बन के आब ए चश्म वो उमड़ने लगा

फिर धुआं बन उड़ चला इक दिन वो
दिल बुझते शोलों सा सिसकने लगा

आब दारी निभाने आएगा वो फिर से
अक्स ए गम ए यार मुझे कहने लगा

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