सोमवार, 28 जून 2010

हादसे









गुलों का रंग फीका फीका सा है आज
जमीं तले हुआ जरुर हादसा है आज

लगता है तुम्हें पहले भी कहीं है देखा
हर बुत लगता क्यूँ खुदा सा है आज

हर शहर हादसा , हर दिल में हादसा
हादसों का शायद कोई जलसा है आज

हवाओं ने बताया था आकर चुपके से
वहां पे भी कोई तन्हा हमसा है आज

आने वाला कल भी बीत ही जायेगा
बीता कल भी लगता आज सा है आज