गुलों का रंग फीका फीका सा है आज
जमीं तले हुआ जरुर हादसा है आज
लगता है तुम्हें पहले भी कहीं है देखा
हर बुत लगता क्यूँ खुदा सा है आज
हर शहर हादसा , हर दिल में हादसा
हादसों का शायद कोई जलसा है आज
हवाओं ने बताया था आकर चुपके से
वहां पे भी कोई तन्हा हमसा है आज
आने वाला कल भी बीत ही जायेगा
बीता कल भी लगता आज सा है आज