सोमवार, 12 अक्तूबर 2009

खुशबुएँ






राह के उस मोड़ पे इक खुशबुओं का पेड़ है
शाम की जुल्फों से खेलती हवाओं का पेड़ है

रात के दामन से गिर पड़ीं थीं कुछ आरजुएं
उन्हीं से पैदा हुआ है जुस्तजुओं का पेड़ है

जिन्स ओ जात का तो कुछ पता नहीं मगर
पता है तो बस इतना कि वफाओं का पेड़ है

अर्श भी बरसाता है इस पे रहमतें बूंदों सी
कभी कभी लगता है कि खुदाओं का पेड़ है

ख़ाक मल मल कर नहाता है बारिशों में
हर मौसम में खड़ा आजमाइशों का पेड़ है

कुछ खुशनुमा ख्वाब सो रहे हैं शाखों पर
सफर अंजाम है यही उन परिंदों का पेड़ है

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